चौरचन । ( हम सब मिथिलावासी )
समस्त मिथिलावासी क " चौरचन"(चौठीचन्द्र) " हम सब मिथिलावासी " परिवार क तरफ सॅ हार्दिक शुभकामना । नम: सिंह प्रसेनमवधी: हिंसोजाम्बवता हत: सुकुमारक मारोदी तब व्येष स्यमंतक: अही मंत्र क संग भादव शुक्ल पक्ष चौठ तिथि क चन्द्र क प्रसाद अर्पण कएल जाइत अछि. वैदिक काले स’ मिथिलामे पाबनि-तिहारक पुनित परंपरा चलैत आबि रहल अछि. एहि पाबनि-तिहार स’ जुड़ल धार्मिक ओ ऐतिहासिक भावना सेहो महत्वपूर्ण होइत अछि, जे हमरा लोकनिमे सांस्कृतिक संचेतनाक संचारण त’ करबे करैत अछि संगहि नवपिढी लोक क सेहो अपन विशिष्ट पाबनि-तिहार स’ अवगत कराबैत अछि. एहने अतिविशिष्ट पाबनिक सूचीमे सहभागी अछि अलौकिक पाबनि “चौरचन”. चौरचनक इतिहास भादव शुक्ल-पक्ष चौठ तिथि क’ संपूर्ण मिथिलामे मनाबए जाए वला एहि पाबनिके मिथिला नरेश हेमांगद ठाकुर प्रचलित कएने छलाह. जे स्वंय ज्योतिषशास्त्रक ख्यातिप्राप्त ज्ञाता छलाह. कहल जाइत छैक जे हुनका अही तिथि क’ कोनो मनोवांछित कामना पूरा भेल छलैन तें ओ एहि पाबनि क प्रचार-प्रसार करबाओलनि. ओना मानल ईहो जाईत अछि जे द्वारिका वासके क्रममे अपना उपर लगाओल गेल कलंक स’ चिंतित भगवान कृष्ण, नारद जी स’