मिथिला केर सामा

सामा पूजा 
रविदिन २९ नवम्बर २०२० क होयत।
सामा चकेवा - काँच माटिक बनल मानव , पशु आ पक्षीक आकृति अगर काँच रहेत अछि तऽ सामा कहबैत अछि आ ओकरे अगर आबामे पका देल जाए तऽ चकेबा कहबैत अछि । ई पूजा कार्तिक शुक्ल द्वितीयासँ आरम्भ कए पूर्णिमा का समाप्त कएल जाइत अछि । ई सामा जाम्बवती आ कृष्णक कन्या थिकीह । शकुन्त पक्षीके रुपमे हिनक पूजा भाइक कल्याण कामनासँ महिला लोकनि करैत छथि । नव धानक शीशसँ हिनक पूजा साँझमे गीत गाबि कएल जाइत अछि । भ्रातृद्वितिया दिनसँ ई पूजा आरम्भ होइत अछि आ पूर्णिमा दिन चूड़ा - दही , गूड भोग लगा परिचारिका वर्गमे प्रसाद बाँटल जाइछ । वाटो बहिनो चौबटिया पर राखल जाइत छथि । सामाक अदला - बदली मैथिलीएमे मन्त्र पढ़ि - पढि कएल जाइत अछि । ई सब कार्य महिला लोकनि करैत छथि । रातिमे अरोस - परोसक महिला लोकनि एकत्र भय गीतनाद करैत आङनक बाहर बाड़ी आ कि चौमासाके चुगिला आ वृन्दावन जड़ाए एहि पूजाक समापन करैत छथि । भाइस सामा फोरेबाक आ जलपान देबाक विधान अछि । जहिया रातिमे पूर्णिमा पड़ेत छैक तहिये होइत अछि । ई पूजा सामा द्वारा अपन भाए साम्बकक कल्याणार्थ आरम्भ भेल ।
सामा गीतः-
डाला लड बहार भेली , बहिनो से फल्ला बहिनो । फल्ला भइया लेल डाला छीन , सुनु राम सजनी । मचिया बैसल तोहे बाबा हो बरहिता । तोरो पुत लेल डाला छोनि सुनु राम सजनी । कथीकर तोहर डलबा हे बेटी । कथी लागल चारू खुट सुनू राम सजनी । सोने के हमरा डलबा हो बाबा । चम्पा चमेली चारू खुट सुन राम सजनी । 

गीत गबैत चौमास खेतमे जा समाके पसारि दी आ तहन डाँट बला पान गांट सुपारी , एक मुट्ठी अरबा चाउर सबके आचर पर राखि ली तहन पाँच बेर सखी सब सँ सामा फेरा - फेरी करी तकर मन्त्र जीब जीबय जीबs की मोर भैया जीवः । कि तोर भैया जीव जैसन धोबियाक पाट तैसन भैयाक पीठ । जैसन करड़िक थम्ह तैसन भैयाक जाँघ । जैसन पोखरि सेमार तैसन भैयाक टीक । 

तहन भाय सं सामा फोड़ा । हुनका चुरा गुड़ सं फाँफर भरल जाइछ । तखन सामा खेलेनाइ शुरु करी । गीत गाबि पहिने चुगिला डाहल जाइछ तखन वृन्दावन जाराओल जाइछ तहन सामा लय आङन अएबाकाल झम्मरि भम्हरा बाला गीत गबैत अबैत अछि ।

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