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Showing posts from December, 2020

इ हमर नव वर्ष नै

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नै चाही शुभ कामना नै हमर ई कामना नै हमर ई नव वर्ष छी नै हमर ई धर्म विशेष छी धरती आकाश  भरल कुहेस सं लोक बाग सब पड़ल जाड़  सं चिड़ै चुनमुनी नै चहचहा रहल य ध्यान सब नै किलोल कय रहल य सुर्य देव नै दर्शन देखा रहल य दिन राईत ऐक्के जेना भ रहल य किछु रंग नै किछु उमंग नै ई नव वर्ष केर कोनो ढंग नै नव वर्ष केर ई कोनो रंग नै किछु मास और इंतज़ार करु अपन मन म कनियो त विचार करु कियक नक़ल म अपन अक्ल बहाबी ई धुंध कुहासा हटय  दियौ कुहासा केर सम्राज्य हटय दियौ प्रकृति केर अपन रूप खिलय दियौ फागुन केर रंग बिखरय दियौ प्रकृति दुल्हन केर रूप धय जखन स्नेह – सुधा बरसायत शस्य – श्यामला धरती माता घर -घर खुशहाली आयत तखन चैत्र शुक्ल केर प्रथम तिथि क तखन नव वर्ष  सब मिल मनायब  आर्यावर्त केर पुण्य भूमि पर सब मिल जय गान करब युक्ति – प्रमाण सॅ स्वयंसिद्ध अपन नव वर्ष क करब प्रसिद्ध आर्वर्तय केर कीर्ति सदा  नव वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा अनमोल विरासत सॅ भरल अपन सब प्राणी म उमंग भरल अपन करैत सब स सरोज ई वंदना सब गोटे क देब शुभ कामना सब गोटे करब कामना #हम_सब_मिथिलावासी

जवाहरलाल नेहरू युनिवर्सिटी

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जेएनयू की एडमिशन पॉलिसी जैसी है वैसी नहीं होती तो मुझ जैसे लोअर मिडिल क्लास परिवार के छात्र का झारखंड के जादूगोड़ा से दिल्ली पहुंचना आसान नहीं होता. एडमिशन मिल भी जाता तो मैं शायद पढ़ाई का ख़र्च नहीं उठा पाता, अगर जेएनयू जैसी व्यवस्था नहीं होती. मोदी राज में कितना बदल गया है जेएनयू पहले तो कुछ फैक्ट्स हो जाएं, फिर मूल्यों की बात हो. 1. जेएनयू की स्थापना संसद के एक एक्ट से हुई थी. विज्ञापन 2. सिर्फ़ जेएनयू में ही एडमिशन की ऐसी पॉलिसी रही है जिसमें पिछड़े ज़िलों से आने वालों को इसके लिए अतिरिक्त नंबर दिए जाते हैं. मसलन, आप उड़ीसा के कालाहांडी ज़िले से हैं तो आपको पांच नंबर मिलेंगे क्योंकि वो इलाक़ा पिछड़ा है. 3. जेएनयू में ये कोशिश की जाती है कि भारत के सभी राज्यों से छात्र पढ़ने आ सकें हालांकि बिहार और उड़ीसा जैसे पिछड़े राज्यों के छात्र-छात्राओं की संख्या अधिक होती है. 4. जेएनयू संभवत पूरे भारत में सोशल साइंस के मल्टी डिसीप्लिनरी रिसर्च का एकमात्र संस्थान है. 5. यूनिवर्सिटी में अनेक विदेशी भाषाएं पढ़ाई जाती हैं, अंडर ग्रैजुएट कोर्स सिर्फ़ विदेशी भाषाओं में होते हैं, बाक़ी सारे कोर्स मा

दरभंगा हाउस, 7,मान सिंह रोड , दिल्ली.

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न . दिल्ली के लूटियन जोन मे 1928 मे निर्मित इस सुन्दर भवन की खूबसुरती पर तब ग्रहण लग  गये  जब 1962 मे महाराजा  डा . कामेशवर  सिंह , सांसद  के आसमायिक निधन के बाद इसका केन्द्रिय सरकार  द्वारा  अधिग्रहण   कर लिया गया | कुछ वर्ष  अमेरिकन किरायेदार  के रहने के बाद IB का  मुख्यालय बनाया  गया और बाहरी  व्यक्ति के प्रवेश और तस्विर  लेने पर प्रतिबंध  लग गया . अब तो बस मानसिंह रोड से अकबर रोड को जोड़ने वाली स्ट्रीट रोड दरभंगा लेन की बोर्ड हीं दरभंगा की याद दिलाती है .  इस भवन की दूर्दशा   की  ओर  ध्यान आकृष्ट  कराते हूए  उसकी उचित  रखरखाव  हेतु  Nehchal Sandhu  , IPS and Ex Director of Intelligence  Bureau and Deputy National Security Advisior to PMO लिखते हैं : “ The arcaded verandahs had been crudely bricked up. And inside, many of the commodious rooms had been partitioned into cubby holes. The few elegantly wood-panelled rooms with fireplaces bounded by dark pilasters standing on extended hearths, and marble mantelpieces supported by elegantly sculpted corbels, were r