जानकी नवमी (1/5/2020)

सीता नवमी || 🌷🙏🏻
संकलन - #हम_सब_मिथिलावासी
---------------------------------------------- 
सीता नवमी और जानकी नवमी जे सनातन पंचांग म मैथली दिवस क रुप म सेहो उल्लेखीत अई।ई हिंदू तिथि वैशाख शुक्ल पक्ष नवमी तिथि क वैष्णव संप्रदाय केर भक्त और समस्त मिथिलावासी माता सीता केर निमित्त व्रत राखैत अछि आओर पूजन करैत अछि! धार्मिक मान्यता और धर्म ग्रंथ केर अनुसार आईये क दिन देवी सीता प्रगट भेल छली। अई पावन पर्व पर जे व्रत राखैत अछि आ भगवान रामचन्द्र जी सहित माता सीता केर अपन शक्ति के अनुसार भक्तिभाव पूर्वक विधि-विधान से सोत्साह पूजन वन्दन करैत अछि, हुनका पृथ्वी दान के फल, महाषोडश दान के फल, अखिलतीर्थ भ्रमण के फल आओर सर्वभूत दया के फल स्वतः ही प्राप्त भय जाईत अछि। 
वाल्मीकि रामायण' केर अनुसार श्रीराम क जन्म क सात वर्ष, एक मास बाद वैशाख मास के शुक्ल पक्ष केर नवमी क जनक जी द्वारा खेत म हल क नोक (सीत) क स्पर्श सॅ एक कन्या मिलल, जिनका ओ सीता नाम देलन। जनक दुलारी भेला सॅ 'जानकी', मिथिलावासी भेला  सॅ 'मिथिलेश' कुमारी नाम स सेहो जानल जाईत अछी। उपनिषद, वैदिक वाङ्मय सब म हिनक अलौकिकता व महिमा केर बहुतो उल्लेख अछि, जतय हुनका शक्तिस्वरूपा सेहो कहल गेल अछि।

ऋग्वेद म ओ असुर संहारिणी, कल्याणकारी, सीतोपनिषद म मूल प्रकृति, विष्णु सान्निध्या, रामतापनीयोपनिषद म आनन्द दायिनी, आदिशक्ति, स्थिति, उत्पत्ति, संहारकारिणी, आर्ष ग्रंथ म सर्ववेदमयी, देवमयी, लोकमयी आओर इच्छा, क्रिया, ज्ञानक संगम अछि। गोस्वामी तुलसीदास हुनका सर्वक्लेशहारिणी, उद्भव, स्थिति, संहारकारिणी, राम वल्लभा कहल गेल अछि। 'पद्मपुराण' हुनका जगतमाता, अध्यात्म रामायण एकमात्र सत्य, योगमाया के साक्षात् स्वरूप आओर महारामायण समस्त शक्ति के स्रोत आ मुक्तिदायिनी कहि हुनक आराधना करैत अछि।
'रामतापनीयोपनिषद' में सीता के जगद के आनन्द दायिनी, सृष्टि, के उत्पत्ति, स्थिति आ संहार के अधिष्ठात्री कहल गेल अछि। 
.
.

श्रीराम सांनिध्यवशां-ज्जगदानन्ददायिनी। 
उत्पत्ति स्थिति संहारकारिणीं सर्वदेहिनम्॥
.
.

'वाल्मीकि रामायण' के अनुसार सीता जी राम जी सॅ सात वर्ष छोट छली।
.

ममभत्र्ता महातेजा वयसापंचविंशक:। 
अष्टादशा हि वर्षाणि मम जन्मति गण्यते॥[2]
.

वाल्मीकि रामायण' और तुलसी कृति 'रामचरितमानस' केर बालकाण्ड म सीता जी उद्भवकारिणी रूपक दर्शन होयत अछि आ हुनक विवाह तक सम्पूर्ण आकर्षण सीता में समाहित अछि,जतय सम्पूर्ण क्रिया हुनक ऐश्वर्य क रूप क वर्णन कयल गेल छैन । अयोध्याकाण्ड सॅ अरण्यकाण्ड तक म हुनक स्थितिकारिणी क रुप म वर्णन कायल गेल छैन , जाहि म मा सिता क करुणा-क्षमा क मूर्ति कहल गेल छैन। ओ कालरात्रि बैन निशाचर कुल म प्रविष्ट भय हुनक विनाश क कारण बनैत छैथ। यद्यपि तुलसीदास जी सीताजी के मात्र कन्या आ पत्नी रूप के दर्शोने अछि, तथापि वाल्मीकि ने हुनक मातृस्वरूप के सेहो प्रदर्शित कय ओहिमे वात्सल्य आ स्नेह के सेहो देखोने अछि।

सीता जयंती सीताजी के जयंती वैशाख शुक्ल नवमी के मनायल जायेत अछि। मुदा भारत के किछु भाग में एकरा फाल्गुन कृष्ण अष्टमी क सेहो मनबैत अछि। रामायण के अनुसार ओ वैशाख में अवतरित भेल छल, मुदा 'निर्णयसिन्धु' के 'कल्पतरु' ग्रंथानुसार फाल्गुन कृष्ण पक्ष के अष्टमी के। येही लेल दुनु तिथि हुनक जयंती हेतु मान्य अछि।

मर्यादापुरुषोत्तम श्रीराम आ माता जानकी के अनन्य भक्त तुलसीदास जी 'रामचरितमानस' क बालकांड केर प्रारंभिक श्लोक म सीता जी ब्रह्म केर तीन क्रिया उद्भव, स्थिति, संहार, के संचालक आ आद्याशक्ति कहि हुनक वंदना केने अछि....! 
.
.
उद्भव स्थिति संहारकारिणीं हारिणीम्। 
सर्वश्रेयस्करीं सीतां नतोऽहं रामबल्लभाम्॥[4]

जानकी नवमी क पुजन विधि

'सीता नवमी' पर व्रत एवं पूजन हेतु अष्टमी तिथि के स्वच्छ भय शुद्ध भूमि पर सुन्दर मण्डप बनाबी। ई मण्डप सौलह, आठ अथवा चार स्तम्भों केर होबाक चाही। मण्डप के मध्य में सुन्दर आसन राखि भगवती सीता आ भगवान श्रीराम की स्थापना करी। पूजन के लेल स्वर्ण, रजत, ताम्र, पीतल, काठ आ मिट्टी क म सो सामर्थ्य अनुसार कोनो एक वस्तु सॅ बनल प्रतिमा के स्थापना कयल जा सकैत अछि। मूर्ति केर अभाव म चित्र द्वारा सेहो पूजन कयल जा सकैत अछि। नवमी के दिन स्नान आदि के पश्चात् जानकी-राम के श्रद्धापूर्वक पूजन करवाक चाही।

'श्री रामाय नमः' आओर 'श्री सीतायै नमः' मूल मंत्र से प्राणायाम करवाक चाही।
'श्री जानकी रामाभ्यां नमः' मंत्र द्वारा आसन, पाद्य, अर्घ्य, आचमन, पंचामृत स्नान, वस्त्र, आभूषण, गन्ध, सिन्दूर आओर धूप-दीप आ नैवेद्य आदि उपचार द्वारा श्रीराम-जानकी के पूजन व आरती करवाक़ चाही।

दशमी के दिन फेर विधिपूर्वक भगवती सीता-राम के पूजा-अर्चना के बाद मण्डप के विसर्जन कय देवाक चाही। अई प्रकारें श्रद्धा व भक्ति से पूजन करय वाला पर भगवती सीता व भगवान राम के कृपा प्राप्त होयत अछि।

🌸 || जय सियावर रामचंद्र की जय || 🌸

कतौ कोनो तरहक गलती हुऐ त जरुर बताबी।सुझाव क स्वागत
.
.

#हम_सब_मिथिलावासी

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

अयोध्या का इतिहास और वर्तमान भाग --1

अयोध्या का इतिहास भाग --2

सीमा पर देश की पर रक्षा करते हुए शहीद हुआ जवान, बिहार रेजिमेंट के इस अफसर से थर थर कांपती थी चीनी सेना