बालदिवस की शुभकामना

वाल दिवस 
मुझे नहीं पता कि नेहरू को बच्‍चों से प्‍यार प्रधानमंत्री बनने से पहले हुआ या बाद में, लेकिन दरभंगा के महाराजा कामेश्‍वर सिंह की यात्रा पुस्तिका से पता चलता है कि उनकी हर यात्रा में बच्‍चों के लिए जगह आरक्षित होता था और बिना बच्‍चे वो यात्रा शायद ही करते थे। बच्‍चों का चयन छोटी-मोटी प्रतियोगिता के माध्‍यम से होता था। इन प्रतियोगिताओं में सामान्‍य ज्ञान और श्‍लोक से संबंधित सवाल किये जाते थे। 
बच्‍चोें के प्रति स्‍नेह तो पहले से था, लेकिन अपनी गर्भवती पत्‍नी की मौत के बाद बच्‍चों के प्रति उनका स्‍नेह और बढ गया। जो बच्‍चे दुनिया नहीं देख पाते उनके लिए उन्‍होंने दरभंगा में कामेश्‍वरी प्रिया पुअर होम नामक एक अस्‍पताल और शिक्षालय खोला जहां ऐसे बच्‍चों का नि:शुल्‍क रहना, पढना और इलाज की व्‍यवस्‍था की गयी। इतना ही नहीं जब भी वो दरभंगा से बाहर जाते थे तो कोई ना कोई उपहार उन बच्‍चों के लिए और अपने उस बच्‍चे के लिए जरुर लाते थे जो इस दुनिया को नहीं देख सका। एक उपहार माधवेश्‍वर शमशान में रखने कामेश्‍वर सिंह खुद जाते थे। कहा जाता है कि युवराज जीवेश्‍वर सिंह में उनकी जान बसती थी, लेकिन भतीजे का व्‍यवहार उन्‍हें एक प्रकार से मार दिया। बच्‍चों से उनका अटूट लगाव ही था जो उन्‍होंने अपनी संपत्ति अपने ऐसे बच्‍चों को दी जो उस वक्‍त इस दुनियां में आया भी नहीं था। जो बच्‍चा दुनिया नहीं देखा, कामेश्‍वर सिंह उससे सबसे ज्‍यादा प्‍यार करते थे..बच्‍चे से प्‍यार करना कोई सीखे तो कामेश्‍वर सिंह से..एक अभागे महाराज ...जो इस मामले में दरिद्र था। कामेश्‍वर सिंह बच्‍चे को जितना करीब लाना चाहे..वो बच्‍चों से उतनी ही दूर होते गये।

Comments

  1. अपनो को कभी कोई नही भुलता मेरे दोस्त

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